Sunday 3 August 2014

आग लगी.......(Nazmaa)

आग लगी.......

(Corrected and modified by my friend Arpita Godbole)

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आग लगी
खोदा कुंवा
तू ने
बाद उसके.

लपटों की
रोशनी में
देखती थी तू
अपने जेवरों को
जो चमकते थे
मगर
सोना था नकली
हीरे भी थे नकली
तू ने सोच लिया
आग भी होगी नकली.

फूक गया
तेरा घर पड़ोस
फिर आया था
तुमको होश,
करने लगी थी
तू तक़रीर
दुनिया है निस्सार,
खोने का दुःख क्या,
खाली हाथ आये हैं
जायेंगे भी हाथ खाली,
अन्दर अन्दर रोयी
मगर तू
चला गया मेरा
सब कुछ,
दोहरे पैमाने हैं
तेरे जब ऐसे
होनी है ऐसी ही
तेरी सच.

आग लगी
खोदा कुंवां
तुम ने
बाद उसके.

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