रिश्तों के रखाव में : शबरी और राम
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रिश्तों के
रखाव में
सहजता का
अभाव क्यों ?
शबरी के
जूठे बैर
खाए थे
रामलला ने,
अवतारी ने
नहीं किया
अंतर कोई
उँच का
नीच का
छूत का
अछूत का
मगर
हमारे सोचों पर
इस फ़र्क़ का
प्रभाव क्यों ?
रिश्तों के
रखाव में
सहजता का
अभाव क्यों ?
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