तुम को जीना चाहता हूँ
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साथ होने की चाहत
सपना बन जाए
जीने की राह
खुद बंदिश बन जाए,
तू ही बता
मेरे हमदम
कैसे हँसे हम ?
तुम मिले तो
लगा था
जिंदगी जीने लगी है
मुरझायी हुई हर शै
खिलने लगी है
आज बहारों में खिज़ा
जब आने लगी है
तू ही बता,
मेरे हमनशीं
कैसे हँसे हम ?
जब तू ना होगी
मैं चुप रह कर
खुद को
खोजने लगूंगा
जिस्म को भूल
रूह में जीने लगूंगा
मगर आज है
वो ही अरमान
तू ही बता,
मेरे हमराज
कैसे हँसे हम ?
जब तलक़
तुम साथ हो,
मेरी हर साँस-ओ-ज़ज्बात हो,
मेरे वज़ूद की
हर यक बात हो,
तुम को दिल में बसाये
सब एहससों के साथ,
तुम को जीना चाहता हूँ.
तू ज़रा हंस के दिखा,
ए मेरे हमसफ़ीर*,
"कैसे हँसे हम ?"
*हमसफ़ीर=a friend who sings together.
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