Wednesday 5 October 2022

मुग्धा



१.शब्दकोशों में मुग्धा (उर्दू में मुगधा) का अर्थ है : नायिका जिसमें यौवन के लक्षण दिख रहे हों परंतु जिसमें अभी पूर्ण काम चेष्टा का भाव उत्पन्न न हुआ हो, लज्जावती नायिका, सुंदरी, कुमारी.

२. हिंदी उर्दू शब्दों  का सम्मिलित प्रयोग हुआ है इस रचना में.


३. कृपया और शे'र इसमें कंट्रिब्यूट करें.😊


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आहा...

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बाद ए सबा बन महकी है मुग्धा सवेरे सवेरे

उसकी छुअन से खुली आँख मेरी सवेरे सवेरे...


आँखों में कजरा आहा वेणी की सुगंध केशों में 

हाथों में रची मेंहदी महकी आहा सवेरे सवेरे...


धड़कने बढ़ गयी आहा साँसे भी थम गयी है 

अचानक दबे पाँव आना आहा सवेरे सवेरे...


कौन है वो अनामिका दिलरुबा महकी महकी 

मेरा सपना हुआ सुरभित आहा सवेरे सवेरे...


जी लेना इश्क़ ओ फ़र्ज़ रूमानियत से कम नहीं 

ज़िंदगी मेरी गुलज़ार, देखूँ तुम्हें आहा सवेरे सवेरे...(Vijaya)

स्त्री का प्रेम....: विजया



इसमें कितनी नैसर्गिकता/प्राकृतिकता/स्वाभाविकता/सहजता  है और कितना अनुकूलन, नहीं जाते इस डिटेल में...देख लेते हैं जस का तस जनरली 😊


स्त्री का प्रेम 

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स्त्री शरीर में 

एक रूप होता है 

पत्नी, प्रेमिका या सहचरी का 

एक और रूप होता है 

माँ का....


पति या प्रेमी के साथ 

लाख सिद्धांतों की बातें हो 

रिश्ता होता है 

आधारित अपेक्षाओं के  

और 

संतांन के लिए 

होता है पूर्णत: अपेक्षा विहीन....


बड़ा विचित्र होता है 

प्रेम स्त्री का,

सह पुरुष के संग 

हो जाता है कामना प्रबल 

नहीं होती है संतुष्ट पूर्ण, 

संग संतान 

वही होता है वात्सल्य प्रबल 

ना पाकर कुछ भी 

माँ के रूप में 

हो जाती है वह सहज संतुष्ट....


देखना चाहती है स्त्री 

अपनी संतान को

उनके पिता से आगे बढ़ते, 

भोगना चाहती है 

पति की समृद्धि का सुख 

करती है गर्व अपने वैभव पर 

प्रचारित भी करती है 

किंतु रहती है फिर भी अतृप्त....


लेकर पति का समर्पण 

हो जाती है 

समर्पित संतान के लिए 

बन जाती है पक्षकार 

संतान की पति के सम्मुख 

झेल सकती है कोई भी कष्ट 

संतान के लिए

जाकर परे अपने अहंकार से 

स्वीकार सकती है 

होना स्वच्छंद बच्चों का 

किंतु पति का नहीं 

रहेगी प्रयासरत और अधिकांशतः सफल 

पति को अटकाए रखने में 

डोर दृश्य और अदृश्य 

रहेगी हाथों में उसके....


सार को देखा और समझा जाय 

नहीं लगेगा अच्छा 

निकम्मा पति उसको 

किंतु नहीं लगेगी बुरी 

संतान निकम्मी उसको....

मेरे चौथे प्यार ने....

 मेरे चौथे प्यार ने....

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मेरे चौथे प्यार ने सिखाया 
प्यार अल्फ़ाज़ में इजहार नहीं 
प्यार कोई तोहफ़े देना नहीं 
प्यार तरह तरह की  सेल्फ़ीज भेजना नहीं 
प्यार हर छोटी बड़ी गतिविधि की 
खबर  और तस्वीर भेजना नहीं 
प्यार वे अहद (१.१)और क़समें नहीं जो 
कभी नहीं निबाहे जाने हैं 
प्यार बार बार 
खोज खबर लेने का जज़्बा दिखाना नहीं 
प्यार बात बात में 
" I Love You."  कहते रहना नहीं 
प्यार  मिसिंग यू का प्रलाप नहीं...


मेरे चौथे प्यार ने सिखाया 
अनकहा और बिन बोला भी हो सकता है प्यार 
ऐसा भी जिसका एहसास कुछ अलग से नहीं होता 
होना ही किसी का होता है माकूल मिकदार (१.२)
नहीं सोचना होता आवाज़ देने के पहले 
कोई ग़ैरज़रूरी दख़लंदाज़ी और बेजा तवक्को (२) नहीं 
आपसी एहतिराम (३) और समझ 
फजूल की तश्रीह ओ तेहलील (४) नहीं 
मिलकर और बातचीत कर 
ख़ुशगवारी और हल्कापन महसूस हो 
मिलने के लिए इज़्तिरार(५)मगर बेताबी(६) नहीं....

मेरे चौथे प्यार ने सिखाया 
प्यार का सबसे ऊँचा रूप दोस्ती 
इंसानी रिश्तों में ऐसा प्यार 
जब महसूस होने लगे 
दिल कहता है अगला पायदान(७)  होगा 
खुद से खुद को प्यार 
फिर ख़ुदा से प्यार 
और उसके बाद खुद हो जाना खुदा...

मायने : 
===
(१.१) वादा/प्रतिज्ञा (१.२)  पर्याप्त (२) अपेक्षा (३)आदर (४)विश्लेषण(५) उत्सुकता (६) अधैर्य/विकलता (७) सीढ़ी