Wednesday, 5 October 2022

मेरे चौथे प्यार ने....

 मेरे चौथे प्यार ने....

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मेरे चौथे प्यार ने सिखाया 
प्यार अल्फ़ाज़ में इजहार नहीं 
प्यार कोई तोहफ़े देना नहीं 
प्यार तरह तरह की  सेल्फ़ीज भेजना नहीं 
प्यार हर छोटी बड़ी गतिविधि की 
खबर  और तस्वीर भेजना नहीं 
प्यार वे अहद (१.१)और क़समें नहीं जो 
कभी नहीं निबाहे जाने हैं 
प्यार बार बार 
खोज खबर लेने का जज़्बा दिखाना नहीं 
प्यार बात बात में 
" I Love You."  कहते रहना नहीं 
प्यार  मिसिंग यू का प्रलाप नहीं...


मेरे चौथे प्यार ने सिखाया 
अनकहा और बिन बोला भी हो सकता है प्यार 
ऐसा भी जिसका एहसास कुछ अलग से नहीं होता 
होना ही किसी का होता है माकूल मिकदार (१.२)
नहीं सोचना होता आवाज़ देने के पहले 
कोई ग़ैरज़रूरी दख़लंदाज़ी और बेजा तवक्को (२) नहीं 
आपसी एहतिराम (३) और समझ 
फजूल की तश्रीह ओ तेहलील (४) नहीं 
मिलकर और बातचीत कर 
ख़ुशगवारी और हल्कापन महसूस हो 
मिलने के लिए इज़्तिरार(५)मगर बेताबी(६) नहीं....

मेरे चौथे प्यार ने सिखाया 
प्यार का सबसे ऊँचा रूप दोस्ती 
इंसानी रिश्तों में ऐसा प्यार 
जब महसूस होने लगे 
दिल कहता है अगला पायदान(७)  होगा 
खुद से खुद को प्यार 
फिर ख़ुदा से प्यार 
और उसके बाद खुद हो जाना खुदा...

मायने : 
===
(१.१) वादा/प्रतिज्ञा (१.२)  पर्याप्त (२) अपेक्षा (३)आदर (४)विश्लेषण(५) उत्सुकता (६) अधैर्य/विकलता (७) सीढ़ी 



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