Monday, 11 August 2014

बुद्धिमान : धम्मपद से - (नायेदाजी)

बुद्धिमान : धम्मपद से 
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बुद्धिमान  है वो,
जो कहता सदा
सत्य को,
दृष्ता बन करता इंगन
दोषों का*
गुण कोष को जान
करें आपदान
त्रुटियों का.*

(*पहले स्वयं के/की-- तदुपरांत औरों  के/की)


संगति बुद्धिमान  की
होती सहयोगी
सत्य को लखने में
दोष-रहित होने में
जीवन विजित करने में.


(धम्म्पद की चर्चा में, एक  विद्व-मनीषी का यह 'स्लोगन ' काफ़ी स्टीक है:"समुन्नत हो करो अपना सुधार, बनो औरों  की उन्नति में मददगार." उन्हे प्रणाम. सर्वप्रथम अपने दोषों की वास्तविक पहचान>अध्ययन और  अभ्यास द्वारा अपना सुधार>अन्यों को भूल-सुधार करने एवं दोष-रहित होने की प्रक्रिया में सहयोग.)

Inspiring Sutra from Dhammpad :

Nidheenam va Pavattaram,Yam Passe Vajj Dassinam,Niggayha Vaadim Medhavam,
Tadisam Panditam Bhaje,Tadisam Bhaja Maanassa, Seyyo Hoti Na Paapiyo.
---------Gautam Budha

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