Sunday 10 August 2014

युग्म : धम्मपद से (नायेदाजी)

युग्म : धम्मपद से

# # # #
नहीं
जीत सकते
घृणा को
करके
घृणा.

जीत सकतें है
घृणा को
होकर मात्र
प्रेम में.

“मिटे घृणा,
और 
पेम हो सबसे”
धर्म यही है
सनातन
नीति यही है
सर्वदा
सफल
सनातन.

(हुमें समझना है घृणा और प्रेम के द्वंद्व (युगल,युग्म,पैर) को. घृणा का सामना घृणा से करना ‘adding fuel to fire' है. घृणा का जवाब प्रेम से देना आग पर पानी डालने के मुआफिक है. प्रेम है: इंसान को उसके सूरत-ए-हाल में स्वीकार करना और उसकी आत्मिक उन्नति में मददगार होना. प्रेम एक  ‘पॉज़िटिव’ एनर्जी है और घृणा एक ‘नेगेटिव’ एनर्जी. घृणा जलाती है पूरे वातावरण को जिसमे घृणा करने वाला तथा घृणा का पात्र दोनो ही जल जातें है. प्रेम एक सुंदर एवं सुखद भावना है…….यह एक ऐसा तरीका भी है जिस-से औरों को उत्तम विचारों, भावनाओं और क्रियाओं से लाभान्वित कराया जा सकता है.बिना कोई वांच्छा किए, स्वयं को भी इस प्रक्रिया में लाभ हासिल होता है. 'एसो धम्मो सनातनो'.)

Inspiring Sutra from Dhammpad : 

Nahi Verena Veraani, Sammanteedha Kudaachanam,
Averena Cha Sammanti, Esa Dhammo Sanatano.
-----------Gautam Buddh

No comments:

Post a Comment