तेरा आना
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'इत्ता' सा तेरा आना,
इस शहर की
बारिश की तरहा है
चली आती है जो
बस यूँ ही,
जानलेवा
लम्बी सी
तपिश के बाद,
और
बरस कर बेमन
कुछ देर,
छोड़ जाती है
फिजा में
और ज्यादा
उमस और उदासी...
आओ मगर,
इस
कदर आओ,
मौसम
बदल जाये,
उदासियाँ
हंसने लगे,
गुलशन
महक जाये.....
ना इठला,
टुक सोच
ऐ बादल !
तुझ में जो
जल है,
जल जाना है
मेरा,
बरस तू
जैसे भी
मिल जाना है.
तुझको
मुझ में ही..
'इत्ता' सा तेरा आना,
इस शहर की
बारिश की तरहा है
चली आती है जो
बस यूँ ही,
जानलेवा
लम्बी सी
तपिश के बाद,
और
बरस कर बेमन
कुछ देर,
छोड़ जाती है
फिजा में
और ज्यादा
उमस और उदासी...
आओ मगर,
इस
कदर आओ,
मौसम
बदल जाये,
उदासियाँ
हंसने लगे,
गुलशन
महक जाये.....
ना इठला,
टुक सोच
ऐ बादल !
तुझ में जो
जल है,
जल जाना है
मेरा,
बरस तू
जैसे भी
मिल जाना है.
तुझको
मुझ में ही..
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