Sunday, 10 August 2014

अनुकरणीय आचरण : गीता से (नायेदाजी)

अनुकरणीय आचरण........

# # # # 
देख बड़ों का 
आचरण
छोटे करते
बस अनुसरण
देकर गुरुजनों का 
उदाहरण
कहतें हैं छोटे  :
किया हम ने तो  
मात्र अनुकरण…….

होता है 
कर्तव्य बड़ों का
करें प्रस्तुत 
मानक-मिसाल
उनके दैन्दिन आचरणों से
प्रभावित है 
संसार विशाल………...

(गीता के चौथे अध्याय का इक्कीसवां श्लोक है : Yadyadacarati sresthtattadevetaro gyanah ! sa yatpramanam kurute lokastadanuvartate !! arthat ‘whetever a great man does, the world follows. Whatever standards he sets, the world pursues.

लोग अपने नेताओं/धर्मगुरुओं/अध्यापकों/बॉस लोगों  का अनुसरण वा अनुकरण करते हैं. लोग उनके आचरण, व्यवहार वा चरित्र से पूरी तरह प्रभावित होते हैं.. अतः यह उनका गुरुत्तर दायित्व एवम परम कर्तव्य बन जाता है कि वे सदाचारी व सच्चरित्र बनें. जो बड़े हैं उनपर भी यह बात लागू होती है, क्योंकि उनके सही-ग़लत का अनुसरण छोटे  करते हैं.)

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