Sunday 10 August 2014

पूर्णता : (नायेदाजी)

पूर्णता 

(ईशावास्य उपनिषद का आरंभ 'शांति पाठ' से होता है जो अपने आप में एक ग़ूढ दर्शन है.)


शांति पाठ:

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम् पूर्णात् पूर्णमुदच्यते |
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ||


भावानुवाद  का प्रयास:

परमात्मा  भी पूरा,
यह संसार भी पूरा,
संसार उपजा है परमात्मा  से,
पूरे से पूरा निकल जाये , बचता है पूरा,
संसार निकले भी तो प्रभु है पूरा,
और यह संसार भी नहीं अधूरा.

एक  दीपक की लौ,
जुड़ के दूसरे दिए की लौ से,
कर देती है उसे भी आलोकित,
लौ की दमक देकर भी,
प्रथम दीप रहता प्रकाशित,

पूरे से पूरा निष्कासित ,
शेष है जो, नहीं अधूरा,
विश्व को निज से उपजा,
परमात्मा तथापि पूरा.

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