Friday 8 August 2014

वो क्या है : (अंकितजी)

वो क्या है : अंकित
(बरसों पहिले  लिखी यह हल्की फुल्की रचना)

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वो क्या है ?

एक  खुशबू ,
एक भीनी सी महक,
जो महकाती  है मधुबन  को.

एक गीत,
एक  मीठी सी चहक,
जो चहकाती है जीवन को.

एक रोशनी,
एक सुखद सी चमक,
जो चमकाती अंतर्मन को.

एक अजनबी,
एक  चिर परिचित सी,
जो जगा देती अपनेपन को.

एक पहेली
एक जागृत सी बहक,
जो बहकाती  है तन मन  को.

एक  संजीदगी,
एक  प्यारी सी कशिश,
जो बोझिल करती हर पल को.

एक  प्रेरणा,
एक साया सी साथी,
जो आसान करती मुश्किल को.

एक  सुकुन 
एक  खिलती सी खुशी,
जो बिखरती मुस्कानों को.

एक  चिंगारी,
एक सुलगती सी अगन ,
जो दहकाती है रों रों को.

एक तशनगी 
एक  बोलती सी खामोशी,
जो तड़फा  देती धड़कनो को.

एक  चाहत,
एक  शीतल सी राहत ,
जो मात  देती है पैमानों को.

एक  आहट
एक  अलसाई सी करवट,
जो जगा देती अरमानों  को.

इतना कुछ  सोचने और जानने के,
बाद भी पूछ  रहा हूँ खुद से,
वो क्या है ??.

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