आओ लौट चलें
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तेरी आँखों में
ना शिकवे है
ना उम्मीदों के शौले है
और ना ही
जज़्बा-ए-मोहब्बत है.
आओ अब लौट चलें
उस मकाम पर
जहाँ तुझको भी सुकून
मुझे भी तस्कीन है.
इस एक संग
लौटने के दौर में
कुछ ऐसा भी हो जाए
हम-तुम एक हो जाएँ
क्योंकि
आज इसी मसले पर
दोनो हमयकीन है.
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