Gareebkhaana
# # #
In thousands and more ways
They preach us
To become
Humble
Full of humility /
Respectful
And
Polite
And in reality
We become
Formal
Hypocrite
And
Insensible...
We are also taught
To condemn ourselves,
In thousands of ways
And
The conditioned mind
Recites,
Who is
Cunning (Kutil),
Wicked (Khal),
Lustful (Kaami),
Like me ?
We call ourselves
A dirt
A fool
An illiterate
A poor fellow,
Even we call our Villa
A hut or
A 'Gareebkhana'
Claiming ourselves
Humble and Polite,
Having all the
Symbols of
Inflated ego
Inside and
Outside of
Our being...
A person who
Say even genuine
Good of him or her,
We brand him
Unreasonable
Proud or
Egregious egotist...
Can an individual
Not respecting oneself,
Respect God and
Other human beings ?
Can a person
Love others And God
Without loving oneself ?
गरीब खाना (By Arpita)
# # #
हजारों तरीकों से
दिया जाता है हमें उपदेश
बनने हेतु :
विनम्र
विनयशील
एवम
श्रद्धालु,
किन्तु हकीक़त में
बन जाते है हम
औपचारिक
दीखावेबाज़
पाखंडी एवम
भावशून्य...
हजारों तरीकों से
सीखाई जाती है हमें
आत्मभर्त्सना,
और
गाया करता है
हमारा प्रतिवर्त मस्तिष्क
मो सम कौन
कुटिल खल कामी ?
स्वयं को
देते हैं हम उपमा
कुत्सित
मूर्ख
निरक्षर
अनपढ़
असहाय एवम
निर्धन की,
हम अपने भवन को
कह देते हैं
गरीब खाना
अथवा
झोंपड़ा,
जताते हुए खुद को
विनायानावत या
विनम्र,
किन्तु हमारे
अंतकरण एवम
बाह्य दृष्टान्त में
होता है
परिलक्षित
गुब्बारे जैसा
फूला हुआ
हमारा अहम्..
व्यक्ति यदि कह देता है
कुछ शुभ
उचित और सटीक,
बारे में स्वयं के,
दागते हैं हम
ठप्पा उस पर
अविवेकी,
दम्भी एवम
अशिष्ट अहंकारी होने का..
एक मनुष्य
जो नहीं करता
समादर स्वयं का,
क्या कर सकता है
वह
सम्मान
अपने जैसे
मानवों और
प्रभु का ?
क्या कर पायेगा कोई
प्रेम
अन्य जनों
एवम
प्रभु से,
बिना किये
प्रेम
स्वयं से ?
# # #
In thousands and more ways
They preach us
To become
Humble
Full of humility /
Respectful
And
Polite
And in reality
We become
Formal
Hypocrite
And
Insensible...
We are also taught
To condemn ourselves,
In thousands of ways
And
The conditioned mind
Recites,
Who is
Cunning (Kutil),
Wicked (Khal),
Lustful (Kaami),
Like me ?
We call ourselves
A dirt
A fool
An illiterate
A poor fellow,
Even we call our Villa
A hut or
A 'Gareebkhana'
Claiming ourselves
Humble and Polite,
Having all the
Symbols of
Inflated ego
Inside and
Outside of
Our being...
A person who
Say even genuine
Good of him or her,
We brand him
Unreasonable
Proud or
Egregious egotist...
Can an individual
Not respecting oneself,
Respect God and
Other human beings ?
Can a person
Love others And God
Without loving oneself ?
गरीब खाना (By Arpita)
# # #
हजारों तरीकों से
दिया जाता है हमें उपदेश
बनने हेतु :
विनम्र
विनयशील
एवम
श्रद्धालु,
किन्तु हकीक़त में
बन जाते है हम
औपचारिक
दीखावेबाज़
पाखंडी एवम
भावशून्य...
हजारों तरीकों से
सीखाई जाती है हमें
आत्मभर्त्सना,
और
गाया करता है
हमारा प्रतिवर्त मस्तिष्क
मो सम कौन
कुटिल खल कामी ?
स्वयं को
देते हैं हम उपमा
कुत्सित
मूर्ख
निरक्षर
अनपढ़
असहाय एवम
निर्धन की,
हम अपने भवन को
कह देते हैं
गरीब खाना
अथवा
झोंपड़ा,
जताते हुए खुद को
विनायानावत या
विनम्र,
किन्तु हमारे
अंतकरण एवम
बाह्य दृष्टान्त में
होता है
परिलक्षित
गुब्बारे जैसा
फूला हुआ
हमारा अहम्..
व्यक्ति यदि कह देता है
कुछ शुभ
उचित और सटीक,
बारे में स्वयं के,
दागते हैं हम
ठप्पा उस पर
अविवेकी,
दम्भी एवम
अशिष्ट अहंकारी होने का..
एक मनुष्य
जो नहीं करता
समादर स्वयं का,
क्या कर सकता है
वह
सम्मान
अपने जैसे
मानवों और
प्रभु का ?
क्या कर पायेगा कोई
प्रेम
अन्य जनों
एवम
प्रभु से,
बिना किये
प्रेम
स्वयं से ?
No comments:
Post a Comment