Friday, 1 August 2014

नमी...(मेहर)

नमी...
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खो गयी है 
हिज्र के गहरे
समंदर में 
मेरे इंतज़ार की
नमी,
पुतली के जाल में
तड़फ रही hai
एक तस्वीर
बन मछली...

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