शख्सियत शिगाफज़दा ...
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काटे जा रही है
तीखी धार
कगार
किनारों की ,
जाने बिना कि
गिर जायेंगे
वो भी उसमें ही,
और
थम जाएगा
मछलियों का
खुद की ही मौज में
बेख़ौफ़ बेरुकावट
खेलना
तैरना,
लौट जायेंगे
या के
डूब जायेंगे
सफीने
ना जाने
कितने,
और
कर देगी पैदा
लहरों की
नमीम-ओ-कानाफूसी
इक शख्सियत
शिगाफज़दा ...
(शिगाफज़दा शख्सियत= विभाजित व्यक्तित्व, Split personality.)
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