Friday, 1 August 2014

तेरा प्रकाश क्यों है ? (मेहर)

तेरा प्रकाश क्यों है ?
#######
तू सूरज है तो 
क्यों हुआ था अस्त
उस दिन,
तेरे  बाद भी मुझ प़र 
तेरा प्रकाश क्यों है ?

करती रहती हूं
मैं खोज 
ना जाने किस की,
वृक्ष  ही ना रहा
पुष्प-सौरभ की 
अपेक्षा क्यों है ?

नहीं समझ पायी 
अपने ही दिल की 
आदत को,
सफ़र ख़त्म हुआ 
फिर भी तेरी 
तलाश क्यों है ?

रखती थी 
मैं वांछा 
झरने से
सुशीतल जल की,,
मिल ना पाया तो 
गर्माहट की 
प्रत्याशा क्यों है ?

तोड़ निकला था 
मज़बूत छत को
पेड़ बढ़ कर,
ऊर्जा थी 
उगने की 
पाप का 
आरोप क्यों है ?

No comments:

Post a Comment