परिणाम
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नहीं देखता है
प्रेमी भ्रमर
कली को घेरे
विष बुझे शूलों को,
भर लेता है
आलिंगन पाश में
इतराती इठलाती
कली को,
चूमता है जब
भंवरा
अपनी प्रेयसी को
हो जाते हैं तार तार
कट कर
पंख उसके
लेता है सांस आखरी
मान कर
जन्नत
महबूबा की
उस गली को...
जन्म का
क्या छोड़ दूँ
मैं जीना
अंत है रुदन
मेरे गीतों का
क्या बन्द कर दूँ
मैं गाना,
प्रेम नहीं है
शुष्क दर्शन
बुद्धि का,
गीत है यह
ह्रदय और
आत्मा का,
माना कि
हो सकता है
कुछ भी परिणाम
मिलन और बिछौह का
क्या भूल जाऊं
मैं प्रेम करना....
नहीं रहता है
प्रेम
किसी दू देश में,
है निवास उसका
प्रेमियों के
दिलों में,
तू चला गया
क्या बना सका
दूरी दिल की
मुझ से,
करते हैं हम
बेहद प्यार
आज भी
एक दूजे से,
नामुमकिन है
देख पाना इसको
दुनियावी
सिलसिलों में...
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