Friday, 1 August 2014

तुम जब याद आते हो ---- (मेहर)

तुम जब याद आते हो ---- 
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अमावस की काली रातों में चाँद से मुस्कुराते हो
तुम जब याद आते हो, तुम जब याद आते हो. 

तारीकी की आँखों में कैद जो राह है मेरी
आज़ाद हो जाती वो पाकर  रोशनी तेरी,
मंजिल खुद चली आती कदम से जोड़ने रिश्ता 
मायूसी के आलम में ख़ुशी बन के आते हो 
तुम जब याद आते हो, तुम जब याद आते हो. 

बिजलियाँ गुदगुदाती है उदासी के इस बादल को
लहरें तेरी मोहब्बत के , छू लेती मन के साहिल को 
तुम्हारे नगमे लहरा कर हवा में लरज़ भर जाते 
साजे दिल पे यकायक ही तराने छेड़ जाते हो 
तुम जब याद आते हो, तुम जब याद आते हो.

दुखों के बौझ को थामे तुम्हारी वो हसीं बातें, 
झील के किनारे की  हसीं वोह चाँदनी रातें ,
थामने अश्कों को मेरे छुअन वो तेरे हाथों की
खुशबुएँ तेरे साए की,तरंगें अनजिये नातों की 
माटी की  बेजान मूरत में साँस ज्यूँ भर जाते हो 
तुम जब याद आते हो, तुम जब याद आते हो.

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