Friday, 1 August 2014

इबादत है आपकी.......(मेहर)

इबादत है आपकी.......
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यह ज़िन्दगी मेरी नहीं, अमानत है आपकी,
जो आ रही है साँसे , वो इनायत है आपकी.

भूले हैं आप इस लम्हा, मेरे घर का रास्ता,
बसाया है मुझे कदमों में,ये चाहत है आपकी. 

उदासियाँ  क्यूँ  है बरपा  महफ़िल में ऐ हुज़ूर,
लब सी लिए हैं हमने, यह इताअत है आपकी.

बसी है दिले जाना में चन्द धडकनें हमारी, 
नहीं मानते है सच को, ये रउनत है आपकी.

तल्ख़नवाई हमारी ना रास आई मेरी जां को  
दिल में जो हो रही है, वो इबादत है आपकी.

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