शेष है एक चिंगारी...
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शेष है एक चिंगारी,
री सखी !
चिता जले या दिया...
बही खूब और सूख गयी है
मेरे अश्कों की नदिया,
कजरा देखो कीच हो गया
नहीं आये निष्ठुर पिया....
तिनके तिनके बना घरोंदा
व्याकुल आकुल चिड़ियाँ
यौवन बैरी जुदा हो गया
क्या चुनरी क्या अंगिया...
सांझ भी सौतन बनी है बैरन
मोरा तड़फै तरसे जिया
शलभी सी बन फ़ना हो गयी
बन ना सकी मैं दिया....
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