खुदा बन के देख...
##############
वफ़ा की इनायत तू चाहे ना कर
बिछड़ना अगर है, जुदा कर के देख,
उम्मीदें नहीं गर तो आँखें मिला,
हम इन्सां हुये तू खुदा बन के देख.
अफ़साने गुजश्ता के बातिल हुए
हाल के इस रवां की अदा बन के देख,
वफ़ा की इनायत तू चाहे ना कर
बिछड़ना अगर है, जुदा कर के देख.
हसरतों के चमन में खिज़ा आ गयी,
चाहतों के सफ़र में सदा बन के देख,
वफ़ा की इनायत तू चाहे ना कर
बिछड़ना अगर है, जुदा कर के देख.
वाईज की तौबा दिखाने को है
पिलाना है गर,मैकदा बन के देख,
वफ़ा की इनायत तू चाहे ना कर
बिछड़ना अगर है, जुदा कर के देख.
दरखतों से ये पत्ते तो झरने लगे,
तेरी हस्ती है गर गिर्वीदा कर के देख,
वफ़ा की इनायत तू चाहे ना कर
बिछड़ना अगर है, जुदा कर के देख.
नफ़स का ये ताइर उड़ा अब उड़ा
क़फ़स खोल दे अलविदा कर के देख,
वफ़ा की इनायत तू चाहे ना कर
बिछड़ना अगर है, जुदा कर के देख.
(इनायत=कृपा, गुजश्ता=बीता हुआ, बातिल=रद्द, हाल=वर्तमान, रवां=प्रवाह, वाईज=धर्मोपदेशक, तौबा=बुरा काम ना करने की प्रतिज्ञा, मैकदा=शराबखाना, गिर्वीदा=मोहित, नफ़स=सांस/ ताइर=पखेरू, क़फ़स=पिंजर)
No comments:
Post a Comment