अनन्या..
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सुना है
तुम्हारा मान
बढाने के नाम
गणित की दुनियां ने
लगा दिए हैं
कुछ अंक
तुम्हारी अनेक
शून्य उपलब्धियों के आगे,
देखो ना
हट गये हैं
अंक सारे
मेरे शून्य के आगे से,
बस यही हुआ ना
तुम हो आज
स्वयं में अन्य
और मैं ?
मुझ में अनन्या..
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