Sunday, 3 August 2014

SURPRISE GIFT : 'सरप्राईज गिफ्ट' (Nazmaa)

SURPRISE GIFT 'सरप्राईज गिफ्ट'

SURPRISE GIFT
# # #
Be in love
Never indulge to know
What is love,
By understanding love
We may be 
An authority
On the subject "LOVE"
But In he process of
Knowing, analyzing and discussing
The happening of 
Love would come to 
a grinding halt
And we would just be
Explaining 
In words and phrases
Prose and verses
All the nitty-gritty of Love
but missing the real thing
That is LOVE..

The roots of tree
Grow in darkness
Though
Leaves, flowers and fruits
Are exposed to sunlight,
The roots are always hidden
And if  brought
To sunlight
They are bound to die...

When happens
THE LOVE
Let it happen
Let it bloom
Let us enjoy it
Let us celebrate it
Let us nourish it,
It's a matter of sheer privacy
Never an event for public demonstration...

Let the LOVE
Be a lively phenomenon
Let the love be a 
Real flower
Let the love be a 
Divine experience
Not a worldly ritual....

Be happy
Never attempt to analyze
What is happiness,
Live the life
Never dissect
What is liveliness
Love love and love
Never write a thesis 
On LOVE,
It's a surprise gift of existence
To enjoy and wonder
Not a wishful thought
To ponder...

'सरप्राईज गिफ्ट'  ( सह रचनाकार : अर्पिता )
डूब जाना प्रेम में 
मत होना मगन
किन्तु जानने में,
होता है प्रेम क्या ?
 
जानकर प्रेम को
बन जाएँ हम 
चाहे 
प्रकाण्ड पंडित
प्रेम विषय के,
किन्तु ज्ञान, विश्लेषण, विमर्श के 
प्रक्रम में 
पहुँच जायेगा 
प्रेम हमारा 
विराम बिंदु पर 
घिसता किरकिराता सा,
और  
करते रहेंगे हम
अनवरत वर्णन 
प्रेम में प्रयुक्त 
क्रिया कलापों का
गद्य और पद्य में 
और 
खो देंगे हम 
कीमिया प्रेम की...

जड़ें पेड़ों की 
होती है विकसित 
तिमिर में,
पते फूल और फल 
रहते हैं अनावृत 
सम्मुख सूर्यप्रकाश के
रहती है किन्तु प्रछन्न 
जड़ें सदैव,
यदि लाया जाय उन्हें 
उन्मुख प्रकाश के 
होगा वरन उनका 
निश्चित ही
मृत्यु से...

होता है जब 
घटित 
प्रेम, 
होने दो ना घटित उसको,
होने दो ना प्रस्फुटित उसको,
पायें आनन्द उस से,
मनाएं उत्सव उसका,
करें पोषण उसका,
प्रेम तो विषय है 
नितान्त गोपन का 
ना कि 
सार्वजनिक प्रदर्शन का...

प्रेम को रहने दो ना
जीवन्त प्रतिभास एक,
होने दो ना प्रेम को
एक पुष्प वास्तविक,
प्रेम हो एक 
दिव्य अनुभूति 
ना कि एक 
सांसारिक निष्पति..
 
प्रसन्न होना है हमें 
ना कि करना है 
विश्लेषण 
प्रसन्नता का, 
जीना है जीवन को 
करना नहीं है
उच्छेदन जीवन्तता का,
प्रेम करो
प्रेम करो
करो प्रेम
मत लिखो कोई शोधग्रंथ 
प्रेम पर,
प्रेम तो है 'सरप्राईज गिफ्ट'
अस्तित्व का
क्यों ना लें हम 
आनन्द उसका
हँसते खिलते गाते
होकर आश्चर्य चकित,
प्रेम नहीं कोई 
विचार इच्छा जनित 
चिंतन मनन हेतु 

( १. रचनाओं को हिंदी में प्रस्तुत करते हुए मैं अपने ढंग से रूपांतरण करती हूँ, इसलिए यह आवश्यक नहीं कि जो अंग्रेजी शब्द मूल रचना में  प्रयोग किये गए हैं उन्हें यथावत अर्थ देते हुए  हिंदी संस्करण तैयार हुआ हो. 
२. 'सरप्राईज गिफ्ट' को मैं 'अप्रत्याशित उपहार' कह सकती थी किन्तु मुझे लगा कि इसे अंग्रेजी में ही यथारूप लिखा जाय तो यह अधिक ग्राह्य होगा .)

No comments:

Post a Comment