साथ मेरा.........
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चाहतेहो गर
साथ मेरा.......
मुझ से पहिले
तुमको
खुद ही को
चाहना होगा,
अँधेरे एहसासों से
खुद को
उबारना होगा....
मंजिल की दूरियां
नहीं मालूम हमें
बस चलने का हौसला
जगाना होगा.....
जो खोया है उसे
भुलाना होगा,
जो है उसे
शिद्दत से
संवारना होगा.......
आसमान में
उड़ना है गर तो,
सफ़र धरती का
पूरा-ना होगा.......
तैर चुके हों बहुत
लहरों पर तुम
करने को गुहर हासिल
खुद को डुबाना होगा....
कितने मासूम है
एहसास जिंदगी के
नरम हाथों से इन्हें
संभालना होगा.....
शबनम को ना चुराले
सुबह का सूरज ,
इस अनाम रिश्ते को
खुद से भी
छुपाना होगा.....
चाहतेहो गर
साथ मेरा.......
मुझ से पहिले
तुमको
खुद ही को
चाहना होगा,
अँधेरे एहसासों से
खुद को
उबारना होगा....
मंजिल की दूरियां
नहीं मालूम हमें
बस चलने का हौसला
जगाना होगा.....
जो खोया है उसे
भुलाना होगा,
जो है उसे
शिद्दत से
संवारना होगा.......
आसमान में
उड़ना है गर तो,
सफ़र धरती का
पूरा-ना होगा.......
तैर चुके हों बहुत
लहरों पर तुम
करने को गुहर हासिल
खुद को डुबाना होगा....
कितने मासूम है
एहसास जिंदगी के
नरम हाथों से इन्हें
संभालना होगा.....
शबनम को ना चुराले
सुबह का सूरज ,
इस अनाम रिश्ते को
खुद से भी
छुपाना होगा.....
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