Friday, 1 August 2014

मैं थी छत (मेहर)

मैं थी छत
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सुनो !
हमारे प्यार के
आशियाँ की
मैं थी छत 
और  
दीवारें थे तुम, 
गिर गयी थी
मैं
बावजूद इसके कि 
थाम रखा था 
तुम ने,
जुडी नहीं थी ना
खुद ब खुद
मैं   
जमीन की 
गहरायी से..

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