जंगल का प्रजातंत्र
# # # # #
होगा जब कभी
जंगल में चुनाव
जीतेगा खरगोश
हार जाएगा शेर
देंगे कमज़ोर जानवर
निर्भीक होकर
अपने अपने अमूल्य वोट
होगी नाहरों,बघेरों और चीतों की दुर्गति
बनेगी प्रधान मंत्री
चतुर-चालक लौमड़ी,
लगेंगे पीछे हाथियों के
ये आवारा कुत्ते
बंदर करेंगे
घोड़ों की सवारी
मेंढक चढ़ बैठेंगे
साँपों के फनों पर
बांधेगे चूहे घंटियाँ
बिल्लियों के गलों में
रह जाएँगे कुछ इधर उधर
बिछड़े बिखरे शेर बघेरे
लेंगे वे शरणागत
अभयारन्य में
या किए जाएँगे क़ैद
चिड़ियाघरों के पिंजरों में
देखे जाएँगे
लगाते चक्कर व्याकुल से
या उन्हे रखेंगे
बनाकर गीदड़
सर्कस के
रिंग मास्टरों के हंटर...
(२००९ के आमचुनाव के पहले लिखी रचना)
No comments:
Post a Comment