आओ लौट चलें 
# # # # # # 
तेरी आँखों में
ना शिकवे है
ना उम्मीदों  के शौले है
और ना ही 
जज़्बा-ए-मोहब्बत है.
आओ अब लौट चलें
उस मकाम पर
जहाँ तुझको भी सुकून
मुझे भी तस्कीन  है.
इस एक संग 
लौटने के दौर में
कुछ  ऐसा भी हो जाए
हम-तुम एक हो जाएँ
क्योंकि 
आज इसी मसले पर
दोनो हमयकीन है.
 
No comments:
Post a Comment