अज्ञान मुक्ति : धम्मपद से
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मेघ आच्छादित
चंद्रमा
अक्षम
हेतु देने
प्रकाश ..
मेघ आच्छादित
चंद्रमा
अक्षम
हेतु देने
प्रकाश ..
मेघ मुक्त हो
वही चंद्रमा
जग को
दे पाता
प्रकाश...
वही चंद्रमा
जग को
दे पाता
प्रकाश...
अज्ञान
छाया हो
जिस
मानव पर
होगा कैसे
आलोकित
छाया हो
जिस
मानव पर
होगा कैसे
आलोकित
वह..
होकर ही
जगती को
मानव
दे पाता है
प्रकाश...
दे पाता है
प्रकाश...
(संशय या द्विविधा मनुष्य को अज्ञानता से आवृत कर देते हैं. स्वयं को आलोकित करने और संसार को भी स्पष्टता की राह दिखने के लिए आवश्यक है कि हम इन अज्ञान रूपी मेघों से मुक्त हों. हम गहन अध्ययन, चिंतन एवम मनन द्वारा ज्ञान, सूचनाओं , विचारों एवम समाधानों को प्रोसेस कर सकते हैं. यह क्रम हमें निरभ्र चन्द्र के समान बना देता है और हम ज्योतिर्मय हो जाते हैं. हमें निरंतर ज्ञान के आदान प्रदान के अवसर तलाशते रहना है..ताकि हम 'हू-ब-हू' देख पाने में समर्थ हो सकें.)
Inspiring Sutra from Dhammpad :
Yocha pubbe pamajitvaa
Pachaa so nappa majjati
Soinam lokam pabhaaseti
Abhaa muttova chandimaa.
-----Gautam Buddh
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