बुद्धिमान : धम्मपद से
# # # # #
बुद्धिमान है वो,
जो कहता सदा
सत्य को,
दृष्ता बन करता इंगन
दोषों का*
गुण कोष को जान
करें आपदान
त्रुटियों का.*
(*पहले स्वयं के/की-- तदुपरांत औरों के/की)
संगति बुद्धिमान की
होती सहयोगी
सत्य को लखने में
दोष-रहित होने में
जीवन विजित करने में.
(धम्म्पद की चर्चा में, एक विद्व-मनीषी का यह 'स्लोगन ' काफ़ी स्टीक है:"समुन्नत हो करो अपना सुधार, बनो औरों की उन्नति में मददगार." उन्हे प्रणाम. सर्वप्रथम अपने दोषों की वास्तविक पहचान>अध्ययन और अभ्यास द्वारा अपना सुधार>अन्यों को भूल-सुधार करने एवं दोष-रहित होने की प्रक्रिया में सहयोग.)
Nidheenam va Pavattaram,Yam Passe Vajj Dassinam,Niggayha Vaadim Medhavam,
Tadisam Panditam Bhaje,Tadisam Bhaja Maanassa, Seyyo Hoti Na Paapiyo.
---------Gautam Budha
No comments:
Post a Comment