भ्रमर और पुष्प : धम्मपद से--
(धम्मपद गौतम बुद्ध की भावनाओं,विचारों एवं सिद्धांतो का अनुपम संग्रह है. इन में से चुन कर कुछ ज्ञान मणियों को आप के साथ, समय समय पर शेयर करने का उपक्रम)
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ले लेता है
रस
सुगंध
एवं पराग,
मंडराता
गाता
प्रसन्न
भ्रमर
किए बिना कोई क्षति,
हंसते-गाते
खिले पुष्प को.
देखो मैत्री
उनकी................
अक्षत रहता है
पुष्प
प्रफुल्लित
विकसित
हरे भरे
उद्यान में.
लिए वही
रंग
सौरभ और
सौंदर्य.
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