Tuesday, 5 August 2014

वेदोक्त धर्म : (नायेदाजी)

वेदोक्त धर्म 
# # #
मानवों !
पक्षपात-रहित
न्याय
सत्याचरण से युक्त
धर्म को
करो गृहण....
जियो
अनुसार
उसके
और
प्राप्ति उसकी हेतु
छोड़ दो
विरोधों को,
परस्पर
प्रीती के साथ
पढो और पढ़ो,
प्रश्न-उत्तर सहित
संवाद करो,
जिस-से
विकास हो
तुम्हारी
सत्य विद्या में,
यथार्थ ज्ञान में
और
मन हो
प्रकाशयुक्त...

बढे पुरुषार्थ
और
बन कर
ज्ञानी
बने रहो तुम
नित्य
आनंद में...

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