आओ 'इंप्रेस' करें...........
धनाढ्य होना कोई गुनाह नहीं है, हुमारा देश धन संपदा में अग्रणी था और इसीलिए 'सोने का पाखी ' कहलाता था. कालांतर में हम ग़रीब होते गये कुछ हमारी सोचों की ज़िम्मेदारी है और कुछ ऐसे शासकों /शासन की जो हुमें ग़रीब रखने में अपना स्वार्थ समझते थे.... यह सब इतिहास की बातें है. अब हम एक नये दौर से गुजर रहे है....आर्थिक समृद्धि के चिन्ह विसंगतियों के साथ उभर रहे हैं एक transitory फेज़ है.........वक़्त के साथ सब ठीक होना है..नाउम्मीदी की कोई बात नहीं है.
एक नव-धनाढ्य वर्ग का प्रादुर्भाव समाज में हो रहा है, जो बदकिस्मती से दिखावा, तेज रफ़्तार, हमारे मौलिक मूल्यों की अवहेलना, पश्चिम का अंधानुकरण, मानवीय संबंधों के सिलसिले में सतही एप्रोच इत्यादि की विसंगतियों के साथ उभर रहा है.............नयी पीढ़ी की मानसिकता जहाँ बहुत मामलों में ईमानदार और सहज है वहीं हमें शास्वत और भारतीय मूल्यों के प्रति उन्हे जागरूक करना है, बातों से नहीं खुद जीकर----as 'example is better than percept'.
यह व्यंग्यात्मक रचना इसी क्रम में एक प्रयास है.
अभिव्यक्ति की सहजता के लिए 'खिचड़ी ' जैसी मिलीजुली भाषा का प्रयोग किया है....आशा है आप उदार मन से इसे 'इग्नोर' करेंगे और 'कंटेंट ' और 'एक्सप्रेशन' का लुत्फ़ उठाएँगे.
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आओ 'इंप्रेस' करें.........
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नया नया बना
है अपना 'बैंक बैलेंस '
सौजन्य 'शेयर -बाज़ार'
कॉल सेंटर-वन नाइट
BPO .....................
अंदर में चेतना जगाने से
तकलीफ़ होगी
क्यों जहमत लें
खुद को भीतर से
बदलने की
आओ बाहिर से बदलें
आओ 'इंप्रेस' करें.
नयी हो गाड़ी,
नूतन हो बाड़ी (घर)
नये नये परिधान
नये नये लेप (कॉसमेटिक्स)
क्राइम थ्रिलर्स या
नीली नीली DVD
चमकती सी LCD
पीने को ब्लू लेबल
खाने को पिज़्ज़ा और बर्गर
प्रोसेस्ड-इंपोर्टेड डिब्बा-बंद खाने
पार्टी करने के नये नये नये बहाने
डेट्स के बदलने के संग साथी का बदलना
'इनडिपेंडेंट' लाइफ.....
मूमेंट्स मे जीना
प्लास्टिक मनी.....
EMI हो तो
काहे बहाएं पसीना
रोज नये रिश्ते
रोज नयी हसीना.
काहे का राम राम
काहे का या खुदा
ओल्डीस हैं स्पेंट-फोर्स
अपनी बात जुदा
आओ Aramani, Versace
Gucci Bosini Giovoni
की बातें करे.....
बुलक कार्ट को छोड़ो ...छि
cartier को सोचें और अपनाएँ
'Diesel' उफ़ इतना भी नहीं जानते
किंग ख़ान का फेवरिट ब्रांड है
तुम्हे अपने ट्रेक्टर की पड़ी है
'पोलीस' खाकी कपड़ों वाले नहीं
मेरे इस काले चश्मे और
कटोरी सी 'वॉच' का नाम है
आप जैसे 'बैकवर्ड ' है
इसीलिए इंडिया बदनाम है.
छोड़ो कली ,चमन और फूल की बातें
आओ गाएँ पॉप और करें 'कूल' सी बातें
जब आए वसूली को बैंक के नुमाइंदे
मेरी मॉम छुपा लेना मुझे अपने दामन में
बूढ़ा गाता था ना-
'मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में.
तुम कहते हो छोड़ो 'शोमैनशिप '
छोड़ो दिखावा
होश में आओ
तुम क्या जानो इन 'मॉड ' बातों को
'शो मस्ट गो ऑन .'
बस जी ई ई ई लो आज के लिए
कल किसने देखा है..
काहे 'कन्फेस' करें
आओ ना 'इंप्रेस' करें..............
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