खुमार में खो जाएँ
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तेरा यूँ 
खोया खोया सा रहना
चुप रह कर 
उदासी की नज़्म 
गुनगुनाना
गुज़रता है 
नागवार
मुझ को.
मानता हूँ 
जुदाई की एक
अपनी एक तपिश है
मगर यह भी तो
मोहब्बत की 
एक कशिश है.
आओ ! एक दौर
संग संग जियी 
खुशियों का 
मय समझ कर हो जाए
कल आज और कल तो 
आते जाते हैं
आओ बस
खुमार में खो जाएँ.
 
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