Saturday, 9 August 2014

क्यों है : (अंकितजी)

क्यों है 
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रास  आ गया है तंग-ए-कफस तो फिक्रे आशियाँ क्यों है
बेपरवाही की फ़ितरत थी तो दीदा-ए-तर का दरिया क्यों है.

कहतें है जो हुआ वो मंजूरे खुदा था
फिर यह फसील आप और रकीब के दरमियाँ क्यों है.

लिखते रहते है बाज औकात  नगमा-ए-मोहब्बत
फिर आप और हम में यह दूरियां क्यों है.

चुप हो जाते है बोल बोल के लब-ए-गोया 
तर्जुमानी--ए-गम करने आप की तनहाईयाँ क्यों है.

देरीना शरार तो बुझ चुकी है कब की माजी में
मेरे इस हाल में आपकी बदगुमनियाँ क्यों है.

दीवारों पर लिखदी  है तहरीर-ए-अश्क आपने
जमाने को दिखाने फिर यह खुशफ़हमियाँ क्यों है.

तक़रीर करते रहते है आप सूफ़ियाना अंदाज़ में हरदम
या अल्लाह ! रुकी हुई तसबीह में अंगुलियां क्यों है.


तंग=narrow
कफस=cage /पिंजरा 
दीदा-ए-तर =भीगी आँखे
फसील=दीवार 
बाज औकात =कभी-कभी/sometimes  
लब-ए-गोया=बोलने वाले होंठ 
तर्जुमानी--ए-गम=दुख की भाषा को भाषांतर करने का प्रतिनिधत्व 
देरिना=पुरानी, शरर=चिंगारी
बदगुमनियाँ=ग़लतफ़हमियाँ
तहरीर=लिखावट 
अश्क=अंशु/tears 
तक़रीर=भाषण /speech  
तसबीह=जपमाला/rosary 

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