क्यों है
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रास आ गया है तंग-ए-कफस तो फिक्रे आशियाँ क्यों है
बेपरवाही की फ़ितरत थी तो दीदा-ए-तर का दरिया क्यों है.
कहतें है जो हुआ वो मंजूरे खुदा था
फिर यह फसील आप और रकीब के दरमियाँ क्यों है.
लिखते रहते है बाज औकात नगमा-ए-मोहब्बत
फिर आप और हम में यह दूरियां क्यों है.
चुप हो जाते है बोल बोल के लब-ए-गोया
तर्जुमानी--ए-गम करने आप की तनहाईयाँ क्यों है.
देरीना शरार तो बुझ चुकी है कब की माजी में
मेरे इस हाल में आपकी बदगुमनियाँ क्यों है.
दीवारों पर लिखदी है तहरीर-ए-अश्क आपने
जमाने को दिखाने फिर यह खुशफ़हमियाँ क्यों है.
तक़रीर करते रहते है आप सूफ़ियाना अंदाज़ में हरदम
या अल्लाह ! रुकी हुई तसबीह में अंगुलियां क्यों है.
तंग=narrow
कफस=cage /पिंजरा
दीदा-ए-तर =भीगी आँखे
फसील=दीवार
बाज औकात =कभी-कभी/sometimes
लब-ए-गोया=बोलने वाले होंठ
तर्जुमानी--ए-गम=दुख की भाषा को भाषांतर करने का प्रतिनिधत्व
देरिना=पुरानी, शरर=चिंगारी
बदगुमनियाँ=ग़लतफ़हमियाँ
तहरीर=लिखावट
अश्क=अंशु/tears
तक़रीर=भाषण /speech
तसबीह=जपमाला/rosary
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