Thursday, 7 August 2014

पतझड़ के पत्ते : (अंकितजी)

पतझड़  के पत्ते 

(कोई 25 साल पहले  की बात है एक  किताब 'LORD OF THE DAWN:The Plumed Sepent Of Mexico' पढ़ रहा था.......जिसके लिए कहा गया है-This book is a song that pours from human heart. एक चैप्टर  को पढ़ते पढ़ते कुछ  स्क्रिब्लिंग्स की थी.....आप से शेयर कर रहा हूँ.)
*********************************************************************

# # # #
यह नहीं है
भिन्न
पतझड़ के अन्य पत्तों से.

कुछ  ही समय पूर्व
यह था हरित
जीवित
और अब 
कर रहा है वरण मरण  को.

समय के साथ
यह भी लुप्त हो जाएगा
वन के धरातल पर
बिछे घास-पात  के
बिछौने  में.

फिर भी
सौन्दर्य  है
इसकी मृत्यु में
जिस से
नयन हो जाते हैं
चकाचौंध और
अंतर-आत्मा जागृत.

किंतु
पर्वतों से आ रहे
प्रवाहमान 
जल की तरह 
जब तक नहीं हम थमे
और देखें,
कभी भी हुमें
अनुभव नहीं होगा
ऐसा पत्ता,
ऐसा मरण ,
ऐसा लोप,
ऐसा विलय और
ऐसा सौंदर्य
होते थे कभी
होते हैं कभी.....

No comments:

Post a Comment