दमित भावनाएं
In English language this is 'REPRESSION' or 'SUPRESSION'..........yah hota hai jaab durbhagyawas hum swayam ko tan aur man dono hi star par EXPRESS nahin kar pate.....karan hai hamari conditioning jo barson se hoti jati hai aas-pas ke dawab ke karan,ya hamari 'confused' sochon ke karan. ya inflated ego ke karan........ Repression vyakti ki bhasa aur vyvhar men jhalakne lagta hai. A repressed person becomes violent-to others or to oneself or to both.
दमित भावनाएं
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दमित भावनाएं
हो नहीं सकती
मार्ग
कभी भी
जीने का,
वो है ही नहीं
मार्ग
कोई भी कत्तई...
चली जाती है
वे
अचेतन में,
करती रहती है
प्रतीक्षा
ना जाने
किस मुक्ति की
और
तनिक से
उकसाने से
हो जाती है
प्रकट
धर कर रूप
हिंसा,
इर्ष्या,
सस्ती कामुकता,
और
अवसाद का.....
दमित भावनाएं
देती है
ऐसा जीवन
जो नहीं गया था
कभी भी
चाहा,
कराती है वे
कृत्य अनचाहे,
और
दिखाती है
राह
स्व-विनष्टिकरण की
एवम्
स्वयं को कुछ ऐसा
बना देने की
जो होता है
विरुद्ध
स्वसत्व के...
दमित भावनाएं
बना देती है
इन्सान को
अनजान
खुद से ही :
एक अजनबी
अपने ही घर में,
और
प्रवृत करती है
उसको
धीमे विषपान से
शनै शनै
किन्तु
निरंतर घटित
आत्महत्या के लिए,
बनाते हुए
जीने को
महज
एक प्रक्रिया
सांस लेने की
अथवा
मानव के
आवरण में
दानवीय
निष्पत्ति की..
दमित भावनाओं का
सकारात्मक
प्रकटीकरण
और
उनकी विवेकपूर्ण
रिहाई
खोलती है द्वार
स्वमुक्ति
करुणा
प्रेम
और
सौहार्द के....
याद आ रहा है
सिगमंड फ्रायड का
मानना की
हिंसा-प्रतिहिंसा के
जड़ में है
दमित भावनाएं
दमित भावनाएं......
दमित भावनाएं
हो नहीं सकती
मार्ग
कभी भी
जीने का,
वो है ही नहीं
मार्ग
कोई भी कत्तई...
चली जाती है
वे
अचेतन में,
करती रहती है
प्रतीक्षा
ना जाने
किस मुक्ति की
और
तनिक से
उकसाने से
हो जाती है
प्रकट
धर कर रूप
हिंसा,
इर्ष्या,
सस्ती कामुकता,
और
अवसाद का.....
दमित भावनाएं
देती है
ऐसा जीवन
जो नहीं गया था
कभी भी
चाहा,
कराती है वे
कृत्य अनचाहे,
और
दिखाती है
राह
स्व-विनष्टिकरण की
एवम्
स्वयं को कुछ ऐसा
बना देने की
जो होता है
विरुद्ध
स्वसत्व के...
दमित भावनाएं
बना देती है
इन्सान को
अनजान
खुद से ही :
एक अजनबी
अपने ही घर में,
और
प्रवृत करती है
उसको
धीमे विषपान से
शनै शनै
किन्तु
निरंतर घटित
आत्महत्या के लिए,
बनाते हुए
जीने को
महज
एक प्रक्रिया
सांस लेने की
अथवा
मानव के
आवरण में
दानवीय
निष्पत्ति की..
दमित भावनाओं का
सकारात्मक
प्रकटीकरण
और
उनकी विवेकपूर्ण
रिहाई
खोलती है द्वार
स्वमुक्ति
करुणा
प्रेम
और
सौहार्द के....
याद आ रहा है
सिगमंड फ्रायड का
मानना की
हिंसा-प्रतिहिंसा के
जड़ में है
दमित भावनाएं
दमित भावनाएं......
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