Saturday, 9 August 2014

शुन्यता तक : (नायेदाजी)

शून्यता तक

# # # # 
विजित करना
सूक्ष्म  
मनोद्वेगों  को
पाया है
मैंने कठिनतर 
तुलना में
विश्व विजय के-- 
अस्त्र-शस्त्र  
उपयोग से भी.

मैंने  किया है
महसूस
मनोविकारों को
जो छुपे  हुए हैं
मेरे अंतर में.
करते रहे हैं जो
लज्जित मुझ को,
नहीं हारी  किंतु
हिम्मत 
मैंने .

मेरे प्रयोग
साथ सत्य के
देते रहें है……..
देते रहेंगे
उपहार मुझे
हर्षातिरेक  का
किंतु
जानता हूँ मैं 
छानना  है मुझे
मार्ग एक संकट भरा,
और 
पहुँचाना है मुझे
स्वयं को
शून्यता तक...

(This is how Gandhi concluded his autobiography)

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