मूर्ख:धम्मपद से
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जब हो
ज्ञान
निज ज्ञान का
और
संज्ञान
निज अज्ञान का
तो होता है
पूर्ण ज्ञानी.
हो जिसे
ज्ञान
स्वज्ञान का,
किंतु ना हो
ज्ञान
स्व -अज्ञान का
होता है
वह
अर्ध ज्ञानी.
जो हो
स्व -ज्ञान से
निज अज्ञान से
अनजान ,
होता है
वह
मूर्ख
भोला.
(अनजाने विषयों का इल्म बढ़ाते रहना ही बेहतर शख्सियत बनाने का मन्त्र है.
केवल मूर्ख ही यह समझते हैं कि वह सब कुछ जानते हैं, मगर बुद्धिमान यह समझते हैं कि अभी भी बहुत कुछ जानना और सीखना शेष है. निरंतर अभ्यास
व प्रशिक्षण द्वारा अज्ञान से ज्ञान की ओर बढ़ना ही जाज्वल्यमान व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया है....ऐसा एक विद्वान टीकाकार का निर्वचन है.)
Yo Baalo Mannati Baalyam, Pandito Vaapi Tenaso,
Baalo Cha Pandita Maani, Save Baaloti Vucchati.
--------Gautam Budha.
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