बिन राधा के कृष्ण अधूरा
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राधा का
हुआ है वर्णन
कवियों की कल्पनाओं में
नहीं है उल्लेख विशेष
प्राचीन शास्त्रों में
क्यों ?????
राधा थी
लीन इतनी कृष्ण में
और
राधा राधा ना रही
बन गयी कृष्ण
और मात्रा
उसकी प्रतिछाया .
कृष्ण
और राधा को
पहचाना
शायद चीन देश ने
तभी तो दिखाया
वर्तुल
यंग और यिन का.
यंग का कोई नहीं
अपना अस्तित्व
वो पाए वज़ूद
इन के सहारे से.
यिन है बुनियाद
यंग की………
यिन का नहीं है
अविर्भाव बिना
यंग के साथ के,
प्रकट होता है
वर्तुल दोनों के
जुड़ाव से.
है दोनो अभिव्यक्त
एक दूजे से……….
(जैसे हमारे
राधा और कृष्ण.).
श्री कृष्णा
का व्यक्तितव
हुआ प्रकाशित
राधा रूपी
‘कैनवास ’ पर
जिसमें अंकित है
कृष्णा समग्र.
कृष्ण है
यदि फूल पल्लवित
राधा है जड़.गहरी.
दोनो है एक
पूर्ण युगल.
और एक शास्वत जोड़ी.
राधाकृष्ण है
नाम है पूरा
बिन राधा के
कृष्णा अधूरा !.
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