आपसी रिश्ते.....
मैनेजमेंट कन्सलटेन्सी के पेशे में होने के कारण हम लोग मैनेजमेंट डेवेलपमेंट प्रोग्राम्स इंडस्ट्री के लिए करते रहतें है. कभी कभी फॅमिली मैनेजमेंट की बातें भी हो जाती है......आइडियाज उपजतें है, सुनते हैं और पढ़ते भी हैं.फॅमिली में रिश्तों के सकारत्मक जीने के क्रम में कुछ सोच समय समय पर सामने आए,शब्द कहीं नायेदा जी ने दिए कहीं मैंने . इसे हमारी सांझा पेशकश समझिए.
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जब पत्नी
कहती है
"सर दर्द है."
मायने है उसके
तुम उसे उपेक्षित
रख रहे हो लगातार.
उसे मत दो 'एस्प्रिन '
दवा है-"गुलदस्ता ",
गर्माहट भरी
मुस्कान
और
भरोसा देने वाला
साथ.
मत सोचो
बहुत ज्यादा
दूसरों के दोषों पर.
निश्चित ही
दोष है आपके पति में भी
यदि वो होते एक संत तो
क्या परिणय सूत्र में
बंधते
सर्वोत्तम
वस्तु
अपने बच्चों पर
व्यय करने की और
लुटाने की
है
समय...........
और वहीँ हम
कंजूस हो
जातें है.
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