उम्मीद है कि तू फिर लौट आएगी
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वो छोटे से दिन
और
लंबी सी रातें
तेरी और मेरी
आबोली सी
वो बातें
आज मुझे फिर
याद आ गयी है.
खुली खिड़की से
आती हवा की मानिंद
आज तू फिर छू गयी है
एक आस जगा कर.
हरा कर गयी है तू
फिर से
ज़ख़्म पुरानों को.
बादबान
खुलने से
पहले का
इशारा है या कि
तेरा साहिल को देखना
और
मुझे समंदर का
फिर से जिम्मा देना
कुछ भी हो
मुझ को आज भी
एहसास है तेरा
उमीद है मुझ को कि
तू फिर लौट आएगी.
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