शून्यता...(दीवानी सीरीज़)
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फिलोसोफी में Phd थी वह शायद तभी तो कभी कभी उसका अन्दाज़ बहोत ही फलसफाना हो जाता था. उस दिन गुड फ़्राइडे
था, एक अरसे बाद हम मिले थे उस मगरीफी (western) मुल्क में,जुदाई के एहसासों का असर था और कुछ मेरे साथ होने का... अचानक उस पर पड़ गया था दौरा फलसफे का. कहने लगी थी:
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फिलोसोफी में Phd थी वह शायद तभी तो कभी कभी उसका अन्दाज़ बहोत ही फलसफाना हो जाता था. उस दिन गुड फ़्राइडे
था, एक अरसे बाद हम मिले थे उस मगरीफी (western) मुल्क में,जुदाई के एहसासों का असर था और कुछ मेरे साथ होने का... अचानक उस पर पड़ गया था दौरा फलसफे का. कहने लगी थी:
गणित ज़िन्दगी की (दीवानी)
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जब घटाया जाता है
एक में से एक को तो बचता है शून्य
जिसे समझता और देखता है हर कोई,,,
आज अच्छा लग रहा है
मगर
अपने खाली लम्हों में लगता है कुछ ऐसा कि
मेरी ज़िन्दगी में से
आहिस्ता आहिस्ता निकल दिया गया है 'ज़िन्दगी' को
और
हो गई हूँ मैं तब्दील एक सिफर में, एक शून्य में,,,,
अफ़सोस !
देखा नहीं...जाना नहीं...समझना भी चाहा नही
मेरी ज़िंदगी के इस हादसे को
किसी ने भी,,,,,
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जब घटाया जाता है
जब घटाया जाता है
एक में से एक को तो बचता है शून्य
जिसे समझता और देखता है हर कोई,,,
आज अच्छा लग रहा है
मगर
अपने खाली लम्हों में लगता है कुछ ऐसा कि
मेरी ज़िन्दगी में से
आहिस्ता आहिस्ता निकल दिया गया है 'ज़िन्दगी' को
और
हो गई हूँ मैं तब्दील एक सिफर में, एक शून्य में,,,,
अफ़सोस !
देखा नहीं...जाना नहीं...समझना भी चाहा नही
जिसे समझता और देखता है हर कोई,,,
आज अच्छा लग रहा है
मगर
अपने खाली लम्हों में लगता है कुछ ऐसा कि
मेरी ज़िन्दगी में से
आहिस्ता आहिस्ता निकल दिया गया है 'ज़िन्दगी' को
और
हो गई हूँ मैं तब्दील एक सिफर में, एक शून्य में,,,,
अफ़सोस !
देखा नहीं...जाना नहीं...समझना भी चाहा नही
मेरी ज़िंदगी के इस हादसे को
किसी ने भी,,,,,
प्रत्युत्तर : अनावरण होने का (By V)
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फिर से मिले थे हम ईस्टर संडे को....इन तीनों दिन मैंने शिद्दत से महसूस किया था उसके एहसासों को. इतनी संजीदा थी उसकी बात कि उसे टाल देना या हवा में उड़ा देना मुनासिब नहीं था. अंतराल के बाद उससे मेरी यह मुलाकात एक जश्न जैसी थी जिसमें फिलोसोफी कम और हंसी ख़ुशी से उन 'दुर्लभ' लम्हों को भर देने का ज़ज्बा जियादह था. मगर मुझे भी कुछ पलों के लिए उस जैसे 'मूड' में आना पड़ा था. मैने जो पढ़ा, सीखा और देखा था उसे कुछ इस तरहा कहा था:
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फिर से मिले थे हम ईस्टर संडे को....इन तीनों दिन मैंने शिद्दत से महसूस किया था उसके एहसासों को. इतनी संजीदा थी उसकी बात कि उसे टाल देना या हवा में उड़ा देना मुनासिब नहीं था. अंतराल के बाद उससे मेरी यह मुलाकात एक जश्न जैसी थी जिसमें फिलोसोफी कम और हंसी ख़ुशी से उन 'दुर्लभ' लम्हों को भर देने का ज़ज्बा जियादह था. मगर मुझे भी कुछ पलों के लिए उस जैसे 'मूड' में आना पड़ा था. मैने जो पढ़ा, सीखा और देखा था उसे कुछ इस तरहा कहा था:
कैसी शून्यता...
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मेरी अज़ीज़ दोस्त !
जिन्दगी की गणित शायद वैसी नहीं
जैसा समझा है तुम ने जाना है, देखा है...पहचाना है,,,
उपजा है यह सूनापन
तुम्हारे बाहिर और बाहिर ही देखते रहने से
ना कि जिन्दगी से जिन्दगी के निकल जाने से,
मान लेता हूँ फिर भी हो गई हो तुम सिफर
या आ पहुंची हो तुम शून्य तक,,,
किसी भी नयी शुरुआत के लिए
पा कर मुक्ति पुरातन से होना पड़ता है निपट रिक्त
ताकि हो सके चमत्कार,
बन जाये कब्र पुरातन की गर्भ स्थल नवीन का,
प्रिये !
होता है ऐसे ही नव-प्रारम्भ,ना कि संशोधन प्राचीन का.
ईशा के शरीर का सलीब पर करना वरण मृत्यु का
और
दिवस त्रय पश्चात मृत्तोथान उनका..
प्रतीक है अनंत ज्ञान प्राप्ति का
क्रूसारोपित होना है मृत्यु
मृत्तोथान है जन्म
और 'तीन दिवस' है शून्यता
जब वे न तो जीवित थे.. न ही मृत,,,
प्रतीक है ये ये तीन(दिवस)देह से मुक्ति के
चित्त से मुक्ति के एवं ह्रदय से मुक्ति के....
उसके पश्चात है पुनर्जन्म अनावरण 'होने' का,,,,
सुना था उसने
ध्यान से मुझ को, कहा था:
चलो सिप करें 'Courtesy' टेकिला
मिल लें फिर से रीफ़्रेश हो कर,
....और चल दिए थे हम
हाथों में हाथ लिए एक-दूजे का देते हुए उर्जा एक-दूजे को,,,
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शब्दार्थ :
क्रुसारोपित होना=crucifixion
मृत्तोथान=resurrection.
Courtesy Teqilla=मेक्सिको का एक अति विशिष्ठ मद्य उत्पाद
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मेरी अज़ीज़ दोस्त !
जिन्दगी की गणित शायद वैसी नहीं
जैसा समझा है तुम ने जाना है, देखा है...पहचाना है,,,
उपजा है यह सूनापन
तुम्हारे बाहिर और बाहिर ही देखते रहने से
ना कि जिन्दगी से जिन्दगी के निकल जाने से,
जिन्दगी की गणित शायद वैसी नहीं
जैसा समझा है तुम ने जाना है, देखा है...पहचाना है,,,
उपजा है यह सूनापन
तुम्हारे बाहिर और बाहिर ही देखते रहने से
ना कि जिन्दगी से जिन्दगी के निकल जाने से,
मान लेता हूँ फिर भी हो गई हो तुम सिफर
या आ पहुंची हो तुम शून्य तक,,,
किसी भी नयी शुरुआत के लिए
पा कर मुक्ति पुरातन से होना पड़ता है निपट रिक्त
ताकि हो सके चमत्कार,
बन जाये कब्र पुरातन की गर्भ स्थल नवीन का,
या आ पहुंची हो तुम शून्य तक,,,
किसी भी नयी शुरुआत के लिए
पा कर मुक्ति पुरातन से होना पड़ता है निपट रिक्त
ताकि हो सके चमत्कार,
बन जाये कब्र पुरातन की गर्भ स्थल नवीन का,
प्रिये !
होता है ऐसे ही नव-प्रारम्भ,ना कि संशोधन प्राचीन का.
होता है ऐसे ही नव-प्रारम्भ,ना कि संशोधन प्राचीन का.
ईशा के शरीर का सलीब पर करना वरण मृत्यु का
और
दिवस त्रय पश्चात मृत्तोथान उनका..
प्रतीक है अनंत ज्ञान प्राप्ति का
क्रूसारोपित होना है मृत्यु
मृत्तोथान है जन्म
और 'तीन दिवस' है शून्यता
जब वे न तो जीवित थे.. न ही मृत,,,
और
दिवस त्रय पश्चात मृत्तोथान उनका..
प्रतीक है अनंत ज्ञान प्राप्ति का
क्रूसारोपित होना है मृत्यु
मृत्तोथान है जन्म
और 'तीन दिवस' है शून्यता
जब वे न तो जीवित थे.. न ही मृत,,,
प्रतीक है ये ये तीन(दिवस)देह से मुक्ति के
चित्त से मुक्ति के एवं ह्रदय से मुक्ति के....
उसके पश्चात है पुनर्जन्म अनावरण 'होने' का,,,,
सुना था उसने
ध्यान से मुझ को, कहा था:
चलो सिप करें 'Courtesy' टेकिला
मिल लें फिर से रीफ़्रेश हो कर,
....और चल दिए थे हम
हाथों में हाथ लिए एक-दूजे का देते हुए उर्जा एक-दूजे को,,,
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शब्दार्थ :
क्रुसारोपित होना=crucifixion
मृत्तोथान=resurrection.
....और चल दिए थे हम
हाथों में हाथ लिए एक-दूजे का देते हुए उर्जा एक-दूजे को,,,
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शब्दार्थ :
क्रुसारोपित होना=crucifixion
मृत्तोथान=resurrection.
Courtesy Teqilla=मेक्सिको का एक अति विशिष्ठ मद्य उत्पाद
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