Wednesday 30 July 2014

सजगता छोटी..

सजगता छोटी..

# # # #
लबा लब
भरा था 
एक सर, 
उछलती 
कूदती
मण्डूकी 
चंचल, 
चली आई  
बाहर
बेपरवाह 
हो कर
ध्यानी  बगुला 
नज़र 
एकटक,
चोंच में 
लपक कर 
गया था 
गटक,  
अति उच्छ्रंखलता
होती है 
खोटी,
बचाती
विनाश से  
सजगता 
छोटी..

No comments:

Post a Comment