कोई तुझको चलाएगा कब तक
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आग में यूँ तपाएगा कब तक
साथ अपना है रुहो जिस्म कातू मुझसे शरमायेगा कब तक.
दे दे के दुहाई रस्मो रवाजों की
तू खुद को भरमायेगा कब तक.
मोल चाहत का करना है मुश्किल
दाम दिल का लगाएगा कब तक.
आदत लौटाने की रख कुछ तो
कोई तुझ पे लुटायेगा कब तक.
खुद ब खुद चल पावों पे अपनेकोई तुझको चलाएगा कब तक.
हो गयी है इंतज़ार की इन्तेहा
तू मुझे तरसाएगा कब तक.
तू मुझे आजमाएगा कब तक.
दे दे के दुहाई रस्मो रवाजों की
तू खुद को भरमायेगा कब तक.
मोल चाहत का करना है मुश्किल
दाम दिल का लगाएगा कब तक.
आदत लौटाने की रख कुछ तो
कोई तुझ पे लुटायेगा कब तक.
खुद ब खुद चल पावों पे अपनेकोई तुझको चलाएगा कब तक.
हो गयी है इंतज़ार की इन्तेहा
तू मुझे तरसाएगा कब तक.
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