Wednesday 30 July 2014

पूनम का यह चाँद देखो

पूनम का यह चाँद देखो

# # # # # # 
पूनम का
यह चाँद 
देखो
ले कर आया 
दिव्य चांदनी,
उल्लास का 
प्रसार ऐसा 
कंचन फीका 
मलिन कामिनी...

दिवस मानो 
थम गया हो 
विस्मृत कर 
गति को ही अपनी   ,
विकल चकवी 
भूल गयी ज्यूँ  
आज अपनी 
सतत रागिनी...

स्पर्श कुछ ऐसा हुआ 
है पुलकित 
तन मन स्पन्दनी 
ध्यान ज्यूँ 
हुआ घटित हो.
तिरोहित है 
अंतर सौदामनी ...

बुझा दें हम 
दीप क्यों ना 
सुला कर लौ को 
ए सजनी, 
शीतल इंदु संग 
नहीं रहेगी 
शलभ की वो  
आकुल करनी..

मुग्ध हृदय 
स्वागत पवन का 
खोल कर 
रुद्ध वातायनी 
स्वर्ग धरा पर 
आज उतरा,
है कृपालु 
जगत जननी...

No comments:

Post a Comment