आहट
# # # #
तुम्हारे
आने और
जाने के
कदमों
की आहट
बसी है
मेरे तसव्वुर
में.
पाता हूँ
तुझे
कभी करीब
कभी दूर
कभी बेजारी
कभी सुरूर.
एहसासों
के यह मंज़र
चुभते है
बन के
खंजर;
देते हैं छाँव
बन के
शजर .
तसव्वुर =ख़याल,कल्पना/.बेजारी =त्रस्त /disgust , शजर=वृक्ष/tree .सुरूर=आनंद/joy .
No comments:
Post a Comment