स्वयं एवं अहम् (Self And Ego)...
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'स्वयं' तो
जीवन है,
मौत है अहम्,
जीवन है
सुकोमल
मृत्यु
कठोर...कठोरतम...
जन्म पर
होता तन
कोमल एवं नम्र,
मृत्यु पर
तना तना और
समान बज्र...
जीवित वृक्ष
कोमल और
स्निग्ध,
पाकर मृत्यु
हो जाता
शुष्क और
ठूंठ...
काटा जाता
तरु कठोर,
नहीं पाता
अहम्
कहीं ठौर...
पहचान
स्वयं की
करे
अहम्
तिरोहित,
प्रभु मिल जाते
बिना
पुरोहित...
'स्वयं' तो
जीवन है,
मौत है अहम्,
जीवन है
सुकोमल
मृत्यु
कठोर...कठोरतम...
जन्म पर
होता तन
कोमल एवं नम्र,
मृत्यु पर
तना तना और
समान बज्र...
जीवित वृक्ष
कोमल और
स्निग्ध,
पाकर मृत्यु
हो जाता
शुष्क और
ठूंठ...
काटा जाता
तरु कठोर,
नहीं पाता
अहम्
कहीं ठौर...
पहचान
स्वयं की
करे
अहम्
तिरोहित,
प्रभु मिल जाते
बिना
पुरोहित...
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