Fantasies...
Thin is the difference
Between
Dream and Fantasy,
Realization and Delusion,
Reality and Fallacy,
Practicing and preaching,
Witnessing and Indulging...
फंतासियाँ (सह रचनाकार अर्पिता)
# # #
अंतर है झीना सा ही तो
सपनों और फतासियों में,
अनुभूति और भ्रम में,
कथनी और करनी में,
वास्तविकता और भ्रान्ति में,
साक्षीभाव और आसक्ति में...
# # #
Indulges
The man
In many
Imaginations
And
Harbors
Uncountable
Fantasies...
For attaining the
Pleasure of
Few moments,
Invents
The man
Many a weird
Way-outs
Just to live
These
Quaint
fantasies..
Just a
A big painting
Of Kashmir Scenery
In background,
A click by the
Photographer
And
A snap in hand
To showcase
The man's
Imaginary visit
To the beautiful valley...
Just sitting on
Steering wheel of
A motorcar
Depicted in
Cutout
And
A click of
Camera,
A village dame
Or
A city broad
Gets a feel of
Fulfilling the
Desire to
Own a
Stretched Limousine...
Just resting the
Palm
On the shoulder of
Wax idol of
Dalai Lama,
Amitabh Bachchan
Bill Gates,
Warren Buffet
Or
Barak Obama
And
A snap in
That pose,
One Creates
A fallacy
And
Lives the fantasy,
Showing
The clout to others...
Between
Dream and Fantasy,
Realization and Delusion,
Reality and Fallacy,
Practicing and preaching,
Witnessing and Indulging...
फंतासियाँ (सह रचनाकार अर्पिता)
# # #
करता है
इंसान
कल्पनाएँ
बहुतेरी
और
संजो लेता है
फंतासियाँ
ना जाने
कितनी ..
पाने को
झूठी सी ख़ुशी
चंद लम्हों की
कर लेता है
इंसान
जुगाड़
बे-ढब से,
हेतु जीने
अजीबो गरीब
फंतासियों को...
खिंचवा कर
फोटो
लगवा कर
पार्श्व में
एक लम्बा सा पर्दा
अंकित हो जिस पर
पहाड़ और हरियाली
कश्मीर की,
जताता है
नादाँ
घूम कर आना
अपना
वादिये काश्मीर में....
खिंचवा लेती हैं
तसवीरें अपनी
बैठ कर
मोटर-कार के
स्टीयरिंग व्हील के पीछे
गाँव की गोरी
या
शहर की छोरी,
और
कर लेती हैं
हसरत पूरी
इसी तस्वीर को
देख कर
दिखा कर
गाडी-मालिक होने की...
रख कर हाथ
कंधे पर
दलाई लामा
अमिताभ बच्चन ,
बिल गेट्स
वारेन बफ्फेट
अथवा
बराक ओबामा के
खिंचवाए हुए
फोटुओं में
नहीं होता
एहसास
महज़
मोम के पुतलों का,
और
जी लेता है
इंसान
फंतासियों में,
अपनाते हुए हुए भ्रम में डूबी
स्थिति कोअसली जिंदगानी अपनी...
इंसान
कल्पनाएँ
बहुतेरी
और
संजो लेता है
फंतासियाँ
ना जाने
कितनी ..
पाने को
झूठी सी ख़ुशी
चंद लम्हों की
कर लेता है
इंसान
जुगाड़
बे-ढब से,
हेतु जीने
अजीबो गरीब
फंतासियों को...
खिंचवा कर
फोटो
लगवा कर
पार्श्व में
एक लम्बा सा पर्दा
अंकित हो जिस पर
पहाड़ और हरियाली
कश्मीर की,
जताता है
नादाँ
घूम कर आना
अपना
वादिये काश्मीर में....
खिंचवा लेती हैं
तसवीरें अपनी
बैठ कर
मोटर-कार के
स्टीयरिंग व्हील के पीछे
गाँव की गोरी
या
शहर की छोरी,
और
कर लेती हैं
हसरत पूरी
इसी तस्वीर को
देख कर
दिखा कर
गाडी-मालिक होने की...
रख कर हाथ
कंधे पर
दलाई लामा
अमिताभ बच्चन ,
बिल गेट्स
वारेन बफ्फेट
अथवा
बराक ओबामा के
खिंचवाए हुए
फोटुओं में
नहीं होता
एहसास
महज़
मोम के पुतलों का,
और
जी लेता है
इंसान
फंतासियों में,
अपनाते हुए हुए भ्रम में डूबी
स्थिति कोअसली जिंदगानी अपनी...
अंतर है झीना सा ही तो
सपनों और फतासियों में,
अनुभूति और भ्रम में,
कथनी और करनी में,
वास्तविकता और भ्रान्ति में,
साक्षीभाव और आसक्ति में...
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