ए मेरे जाँबाज़ हमसफ़र !
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उड़ा कर
नींदें
खुद की,
कोमल
थपकियों से
सुला दूँ
तुझ को....
बिन छुए
तेरा जिस्म
सहला दूँ
प्यार भरी
नज़रों से
तुझ को....
पी कर
दर्द सारे तुम्हारे,
जनमों की
खुशियों से
संवार दूँ
तुझ को.....
तू मुस्कुराये
हरदम
सुकूं से,
पाने
इस मंजर को
लूटा दूँ मैं
खुदको....
ए मेरे
जांबाज़ हमसफ़र !
क्यों गये हो
तुम थक ,
हो जाये ना
मायूस
ये मंजिल कहीं,
देख कर
उदास
तुझको...
उड़ा कर
नींदें
खुद की,
कोमल
थपकियों से
सुला दूँ
तुझ को....
बिन छुए
तेरा जिस्म
सहला दूँ
प्यार भरी
नज़रों से
तुझ को....
पी कर
दर्द सारे तुम्हारे,
जनमों की
खुशियों से
संवार दूँ
तुझ को.....
तू मुस्कुराये
हरदम
सुकूं से,
पाने
इस मंजर को
लूटा दूँ मैं
खुदको....
ए मेरे
जांबाज़ हमसफ़र !
क्यों गये हो
तुम थक ,
हो जाये ना
मायूस
ये मंजिल कहीं,
देख कर
उदास
तुझको...
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