याद आने लगे (युगल गीत)
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आप क्यों /हम को याद आने लगे
आँख नम हो आई
खुद को हम/ भरमाने लगे.
अक्स तुम्हारा/हर लमहे देखा हमने
जुदा हो कर भी
हम इस तरहा/ मुस्कुराने लगे.
खुली आँखों में/ ख्वाबों ने दिये डेरे
पलक झपकेंगे कैसे
नींदों से भी/घबराने लगे.
हर सांस गाती है/ तराने तेरे
धुन को सहलाते हुए
साजों को हम/ बजाने लगे.
बेदर्दी ना है प्रीतम/ जाने है दिल मेरा
सब बिसरा के हम
खुद को भी/बहकाने लगे.
एक मिटटी को /बांटा है खुदा ने/ मेरी जाँ
जान फूंकी जो
कदम सबके यूँ /लड़खड़ाने लगे.
अल्फाज़- किताबें / भूल गये हम तो
बस आप है इल्म मेरे
रीझे किस्मत पे/ और इतराने लगे.
हाथ में हाथ दिया था/ जिस पल तूने
गूंगे थे तब तलक हम
फिर से नग्मात/गुनगुनाने लगे.
सहर का तारा/लुभाने लगा हम को
आप आयेंगे महरबां
महफ़िल / हम सजाने लगे.
प्यार हमारा हर पल/ बढ़ता ही रहे
एक जाँ दो जिस्म
परिंदों से /चहचहाने लगे.
आप क्यों /हम को याद आने लगे
आँख नम हो आई
खुद को हम/ भरमाने लगे.
अक्स तुम्हारा/हर लमहे देखा हमने
जुदा हो कर भी
हम इस तरहा/ मुस्कुराने लगे.
खुली आँखों में/ ख्वाबों ने दिये डेरे
पलक झपकेंगे कैसे
नींदों से भी/घबराने लगे.
हर सांस गाती है/ तराने तेरे
धुन को सहलाते हुए
साजों को हम/ बजाने लगे.
बेदर्दी ना है प्रीतम/ जाने है दिल मेरा
सब बिसरा के हम
खुद को भी/बहकाने लगे.
एक मिटटी को /बांटा है खुदा ने/ मेरी जाँ
जान फूंकी जो
कदम सबके यूँ /लड़खड़ाने लगे.
अल्फाज़- किताबें / भूल गये हम तो
बस आप है इल्म मेरे
रीझे किस्मत पे/ और इतराने लगे.
हाथ में हाथ दिया था/ जिस पल तूने
गूंगे थे तब तलक हम
फिर से नग्मात/गुनगुनाने लगे.
सहर का तारा/लुभाने लगा हम को
आप आयेंगे महरबां
महफ़िल / हम सजाने लगे.
प्यार हमारा हर पल/ बढ़ता ही रहे
एक जाँ दो जिस्म
परिंदों से /चहचहाने लगे.
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